s Swami Keshwanand Samiti Charitable Trust

ट्रस्ट की विशेषताएँ

स्वामी केशवानन्द स्मृति चैरिटेबल ट्रस्ट एक सार्वजनिक लोकोपकारी ट्रस्ट है, जिसके उद्देश्यों और कार्यक्रमों में स्वामी जी समस्त ग्रामोत्थान योजनाओं को समाविष्ट किया गया है। योजनाओं की क्रियान्विति पर होने वाले ब्यय को पूरा करने के लिए इलाके से दान-संग्रह की विधि अपनाई गई। यह सुनिश्चित किया गया की ट्रस्ट मे प्रपट मूल-दान राशि स्थायी कोष में ट्रस्ट संपत्ति के रूप में सदैव जमा रहे और इसके नियोजन से प्राप्त आय, ब्याज / डीवीडेंड आदि राशि से ही कार्यक्रमों को संचालित किया जाए।ट्रस्ट का नाम ‘स्वामी केशवानन्द स्मृति चैरिटेबल ट्रस्ट’और मुख्य कार्यालय ‘संगरिया’ कभी परिवर्तित नहीं होंगे। इस ट्रस्ट की सदस्यता किसी जाति, धर्म, संप्रदाय, लिंग, राजनीतिक विचारधारा के भेद से रहित, सबके लिए खुली है। कोई भी ब्यक्ति कम से कम एक हजार एक सौ रुपये ट्रस्ट कोष में दान देकर ट्रस्ट का आजीवन (साधारण) सदस्य बन सकता है। विधिवत रजिस्टर्ड चैरिटेबल होने के नाते ट्रस्ट कोष मे दिया गया दान आयकर अधिनियम की धारा 80 जी के तहत आयकर से मुक्त होता है।

प्रबंध संचालन :-

ट्रस्ट के प्रबंध संचालन के लिए ट्रस्ट का लिखित रजिस्टर्ड संविधान (टीआरएसटी डीड) है। तदनुसार ट्रस्ट मण्डल का गठन स्वामी जी के सम्पूर्ण कार्यक्षेत्र को प्रतिनिधित्व देते हुए 21 आजीवन ट्रस्टियों तथा 20 तक साधारण ट्रस्टियों (एक सत्रह अर्थात चार वर्ष के लिए) को मिलाकर कर किया जाता है। इक्कीस आजीवन ट्रस्टी प्रत्येक सत्र (चार साल) के आरंभ में अपने में से एक अध्यक्ष और एक महा-सचिव का चुनाव सत्र के लिए करते हैं और अधिक से अधिक बीस साधारण ट्रस्टियों का मनोनयन भी उसी समय तट्रस्ट के आजीवन सदस्यों (दानदाताओं) मे से आजीवन ट्रस्टियों द्वारा किया जाता है। अध्यक्ष के दो उपाध्यक्षों, दो सचिवों और एक कोषाध्यक्ष को आजीवन ट्रस्टियों में से मनोनीत करता है। यह ट्रस्ट-मण्डल ही योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए अधिकृत है। ट्रस्ट मण्डल की प्रतिवर्ष प्रायः चार बैठकें होती है। ट्रस्ट के समस्त सदस्यों (दानदाताओं) को मिलाकर बनाने वाली सभा “साधारण सभा’’ कही जाती है, जिसका वर्ष में एक अधिवेशन स्वामी जी के पुण्य तिथि 13 सीतंबर को होता है, जिसमें ट्रस्ट के विगत वर्ष के सम्पूर्ण कार्य-कलाप का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया जाता है और यही सभा आगामी वर्ष के लिए ट्रस्ट मण्डल को दिशा-निर्देश देती है।